मंगलवार, 14 सितंबर 2021

जैन ओबीसी और जैन मायनॉरिटी | Jain OBC and Jain Minority

 महावीर सांगलीकर 


जैन समाज के कुछ समूह ओबीसी की श्रेणी में आते हैं, जब कि पूरा जैन समाज मायनॉरिटी (अल्पसंख्य) की श्रेणी में आता है. ओबीसी और मायनॉरिटी यह दो अलग अलग चीजें हैं. लेकिन देखा गया है कि अधिकांश लोग इन दो अलग-अलग चीजों को मिक्स कर देते हैं.

ओबीसी क्या है, मायनॉरिटी क्या है इन बातों को समझने लिये पहले आपको यह दो अलग अलग चीजें/ मुद्दे हैं इस बात को ध्यान में रखना चाहिये, और इन दो चीजों को मिक्स नहीं करना चाहिये.

मायनॉरिटी का मतलब अल्पसंख्य है. मायनॉरिटी का दर्जा धार्मिक आधार पर दिया जाता है. भारत में हिंदू छोड कर बाकी सभी धार्मिक समुदाय जनसंख्या में अल्प हैं. इसलिये उन्हें मायनॉरिटी का दर्जा दिया गया है. यह दर्जा प्राप्त करनेवाले धार्मिक समुदाय इस प्रकार है:

मुस्लिम

इसाई

सिख

पारसी

बौद्ध

जैन

जैसा कि मैं ने उपर लिखा है, मायनॉरिटी का दर्जा धार्मिक आधार पर दिया जाता है. यहां जाति का कोई संबंध नहीं है. अगर आप जैन हैं तो आपको हमेशा यह याद रखना होगा कि जैन एक धर्म है, न कि जाति. आपका जैन होना आपको मायनॉरिटी का दर्जा दिला देता है, चाहे आपकी जाति कोई भी हो.



ओबीसी का मतलब है Other Backward Caste. यह जाति पर आधारित है, न कि धर्म पर. जैन समाज की जो जातियां सामाजिक रूप से पिछड़ी हुई हैं ऐसी कुछ जातियों को ओबीसी का दर्जा दिया गया है. ऐसी जातियों के लोग एक तरफ ओबीसी के लाभ पा सकते हैं, दुसरी तरफ मायनॉरिटी के लाभ भी पा सकते हैं.

ओबीसी के लाभ ओबीसी की सूचि में शामिल जातियों को दिये जाते हैं. अगर आपकी जाति इस सूचि में है, तो आप भी ऐसे लाभ पाने के हकदार हैं. (इसके लिये पहले आपको आपकी जाति क्या है इसको जानना होगा. मैं ऐसा इसलिये कह रहां हूं कि अधिकांश जैन लोगों को अपने पंथ या संप्रदाय का पता होता है, लेकिन जाति का नहीं! जाति मालूम होने के बाद आपको देखना चाहिये कि क्या यह जाति केंद्र सरकार की या आपके राज्य की ओबीसी की सूचि में शामिल है?)

उदाहरण के लिये मैं यहां कासार जाति का उल्लेख करना चाहूंगा. इस जाति को महाराष्ट्र में ओबीसी का दर्जा प्राप्त है. इस जाति का एक बडा समूह जैन धर्म का अनुयायी है. इन्हें जैन कासार इस नाम से जाना जाता है. चूं कि यह जैन हैं, इस जाति के लोग मायनॉरिटी के लाभ पा सकते हैं. और चूं कि यह कासार हैं, और कासार जाति ओबीसी की सूचि में शामिल है, इस जाति के लोग ओबीसी होने के लाभ भी पा सकते हैं. दूसरी तरफ जो कासार हिन्दू हैं, उन्हें OBC दर्जे के लाभ मिल सकेंगे, लेकिन  मायनॉरिटी के लाभ नहीं मिल सकते.

अब हम ओसवाल जाति का उदाहरण लेते है. चूं कि यह एक प्रगत जाति है, यह ओबीसी की श्रेणी में नहीं आती, लेकिन चूं कि इस जाति के लोग जैन धर्म के अनुयायी है, इस जाति के लोग अल्पसंख्याक दर्जे के लाभ लेने के हकदार हैं.  

आशा है, ओबीसी और मायनॉरिटी में क्या फरक है, धर्म क्या है, जाति क्या है यह बात अब आप जान चुके होंगे!

जैन समाज में 120 से अधिक जातियां हैं. (84 जातियों की बात को भूल जायिये, क्यों कि ऐसी सूचियां आउट डेटेड हैं! इन सूचियों में जो जातियां दी गयी हैं, उनमें से कई जातियां अब जैन धर्म का पालन नहीं करती, अन्य धर्मों में कन्वर्ट हो गयी हैं. दूसरी ओर इन सूचियों में ऐसी कई जातियों के नाम नहीं हैं जो वास्तव में जैन धर्म का पालन करती हैं).

मायनॉरिटी दर्जे के और ओबीसी दर्जे के लाभ अलग अलग प्रकार के होते है. इसके बारे में मैं एक अलग लेख लिखूंगा.

इस लेख के सन्दर्भ में आपके जो भी प्रश्न हैं उन्हें नीचे कॉमेंट बॉक्स में लिखें, ता कि उनका उत्तर दिया जा सके.

यह भी पढिये:

जैन समाज क्या है? जैन समाज का सही स्वरुप जानिये!

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